Sunday, February 16, 2020

Mahashivratri-2020 महाशिवरात्री शिवपूजन

Mahashivratri-2020  महाशिवरात्री शिवपूजन

Friday
21 February
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शिव रात्रि पर तांबे के लोटे में गंगाजल भरें, उसमें चावल, सफेद चंदन मिलाकर शिवलिंग पर ऊँ नम: शिवाय बोलते हुए अर्पित करें. शिवरात्रि  Maha shivratri 

Mahashivratri-2020   शुक्रवार, 21 फरवरी को महाशिवरात्रि है। महाशिवरात्रीः शिवपूजन इस दिन शिवजी, माता पार्वती, गणेशजी, कार्तिकेय स्वामी, नंदी की विशेष पूजा की जाती है। भगवान की प्रसन्नता के लिए व्रत किया जाता है। पूजा में कई तरह की चीजों के साथ ही फूल और पत्तियां भी शिवलिंग पर चढ़ाई जाती हैं। शिवलिंग धतूरा और बिल्व पत्र अधिकतर लोग चढ़ाते हैं, इनके साथ ही शमी के पत्ते भी शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य  पंडित भूपेंद्र त्रिवेदी ने हमें बताया कि  धर्म के अनुसार आचरण करने वाले के अनुसार शिव पूजा में फूल-पत्तियां चढ़ाने का विशेष महत्व है। जानिए शमी के पत्तों से जुड़ी खास बातें...

शिवजी के लिए आप कोई बढ़िया भेट चढ़ा सकते हो तो वह है बिल्वपत्र अर्थात बेल के पान.


बिल्वपत्र 6 महीने तक बासी नहीं माना जाता। इसे एक बार शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद धोकर पुन: चढ़ाया जा सकता है। कई जगह शिवालयों में बिल्वपत्र उपलब्ध नहीं हो पाने पर इसके चूर्ण को चढ़ाने का विधान भी है। 


सोमवार के दिन बिल्वपत्र को नहीं तोड़ना चाहिए, इसमें शि‍वजी का वास माना जाता है। इसके अलावा प्रतिदिन दोपहर के बाद भी बिल्वपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। 
शमी पत्तों का काफी अधिक महत्व है। ये वृक्ष पूजनीय और पवित्र है। घर में शमी का वृक्ष लगाने से शनि के सभी दोषों से मुक्ति मिल सकती है। इसके साथ ही शमी के पत्ते शिवलिंग पर चढ़ाने से सौभाग्य की कामना पूरी हो सकती है। शिवरात्रि पर सुबह शिव मंदिर जाएं और तांबे के लोटे में गंगाजल या पवित्र जल में गंगाजल, चावल, सफेद चंदन मिलाकर शिवलिंग पर ऊँ नम: शिवाय मंत्र बोलते हुए अर्पित करें।
तांबे के लोटे से जल चढ़ाने के बाद शिवलिंग पर चावल, बिल्वपत्र, सफेद वस्त्र, जनेऊ और मिठाई के साथ ही शमी के पत्ते भी चढ़ाएं। शमी पत्ते चढ़ाते समय ये मंत्र बोलें-

शिवपुराण के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी महाशिवरात्रि कहा गया है। इस बार यह शिवरात्रि 21 फरवरी दिन शुक्रवार को है। चंद्र चक्र में आने वाली सबसे अंधेरी रात को शिवरात्रि कहते हैं। महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात है। इस रात में आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं। शास्त्रों में इस दिन ज्योतिष उपाय करने से आपकी सभी परेशानियां खत्म हो सकती हैं। साथ ही जीवन में सभी प्रकार के तनाव खत्म होते हैं और सकारात्मक प्रमाण दिखने लगते हैं। आइए जानते हैं बाबा भोलेनाथ के दिन महाशिवरात्रि पर करने वाले उन उपायों के बारे में…
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
शमी पत्र चढ़ाने के बाद शिवजी की धूप, दीप और कर्पूर से आरती कर प्रसाद ग्रहण करें। इस तरह पूजा करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनाए रखने की कामना पूरी हो सकती है। 

भगवान शिव को महाकाल कहा गया है और वहीं देवों के देव महादेव हैं। उन्होंने गंगा को अपने शीष पर धारण किया हुआ है। कहते हैं कि अगर भोले नाथ का पूरे श्रद्धा भाव से पूजा की जाए तो वो हमारी जिंदगी की सभी समस्याओं को समाप्त कर देते हैं। 



महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त

21 तारीख को शाम को 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी, शनिवार को शाम सात बजकर 2 मिनट तक रहेगा।



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वैष्णव संप्रदाय उदियात अर्थात् जो सूर्योदय के समय तिथि हो उसे मानते हैं। इसलिए इस साल महाशिवरात्रि 21 फरवरी को मनाई जाएगी। 
शैव संप्रदाय के अनुसार निशीथ में चतुर्दशी तिथि व्याप्त होने पर 21 फरवरी को शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। वहीं 22 फरवरी को वैष्णवों द्वारा उदियात (सूर्योदय के समय) में चतुर्दशी तिथि के चलते व्रत परायण करना श्रेयस्कर है। शिव खप्पर पूजन 23 फरवरी अमावस्या को होगा। उक्त जानकारी पं. अमित भारद्वाज ने दी है। शिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भगवान का रुद्राभिषेक किया जाता है। शिवरात्रि के दिन सुबह नहा धोकर मंदिर जाकर ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।  

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इसके बाद शिवलिंग पर शहद, पानी और दूध के मिश्रण से भोले शंकर को स्नान कराना चाहिए। इसके बाद बेल पत्र, धतूरा, फल और फूल भगवान शिव को अर्पित करने चाहिए। धूप और दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करनी चाहिए। इस दिन भोले शिव को बेर चढ़ाना भी बहुत शुभ होता है। शिव महापुराण में कहा गया है कि इन छह द्रव्यों, दूध,

दही 

, शहद,घी, गुड़ और पानी से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। 

जल से रुद्राभिषेक करने से शुद्धी
गु़ड़ से रुद्राभिषेक करने से खुशियां
घी से रुद्राभिषेक करने से जीत
शहद से रुद्राभिषेक करने से मीठी वाणी 
दही  से रुद्राभिषेक करने से समृद्धि

 रुके हुए धन की होगी प्राप्ति
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के वाहन नंदी यानी बैल को हरा चारा श्रद्धा सुमन के साथ खिलाएं और महामृत्युंजय मंत्र का शाम के समय 108 बार जप करें। ऐसा करने से आपकी धन संबंधी समस्या खत्म होती है और रुके हुए धन की प्राप्ति भी होती है।

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2/7शत्रु से मिलेगी मुक्ति
आपका कोई शत्रु परेशान कर रहा है या फिर आप किसी झूठे मुकदमे में फंसे हैं तो महाशिवरात्रि पर यह उपाय आपको विजय दिलाएगा। इस दिन मंदिर में शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक करें और वहीं रूद्राष्टक का पाठ करें।

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3/7भाग्य देने लगेगा साथ
महाशिवरात्रि पर दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए आप इस दिन अनाथ आश्रम में जाकर दान करें और जरूरतमंदों की मदद करें। ऐसा करने से जीवन में सभी प्रकार की समस्याओं का अंत होगा और भाग्य भी साथ देगा।

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4/7वैवाहिक समस्याओं का होगा अंत
अगर आपके वैवाहिक जीवन में परेशानी चल रही है तो महाशिवरात्रि पर आप सुहागन महिलाओं को सुहाग का सामान दें और गरीब और जरूरतमंद महिलाओं की मदद करें। ऐसा करने से आपके वैवाहिक जीवन की समस्याओं का अंत होगा और दाम्पत्य जीवन मधुर हो जाएगा।

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5/7अशुभ ग्रह देंगे शुभ फल
अगर आपकी कुंडली में ग्रह शुभ परिणाम नहीं दे रहे हैं तो महाशिवरात्रि के दिन आप शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक कर विधि-विधान से पूजा करें और ओम नम: शिवाय और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। ऐसा करने से कुंडली में मौजूद अशुभ ग्रह शुभ फल देने लग जाएंगे।


6/7होगी मोक्ष की प्राप्ति
मोक्ष प्राप्ति के लिए महाशिवरात्रि के दिन आप एक मुखी रूद्राक्ष को गंगाजल में स्नान कराकर विधि-विधान से पूजा करें और लाल कपड़ा बिछाकर उस पर रूद्राक्ष रख दें। इसके बाद ओम नम: शिवाय मंत्र का एक लाख बार जप करें और हर दिन एक माला का जाप करें। ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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7/7आर्थिक परेशानी होगी दूर
अगर आपको नौकरी या व्यापार में परेशानी चल रही है और आपको आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखें और शिवलिंग पर शहद मिलाकर अभिषेक कर अनार का फुल चढ़ाएं। ऐसा करने से व्यापार में तेजी आएगी और नौकरी संबंधित समस्या का भी अंत होगा।



समर्थ रामदास स्वामी रचित देवेश्वराची आरती

लवथवती विक्राळा ब्रह्मांडी माळा ।
वीषें कंठ काळा त्रिनेत्रीं ज्वाळा ॥
लावण्यसुंदर मस्तकीं बाळा ।यां जल निर्मळ वाहे झुळझूळां ॥ १ ॥

जय देव जय देव जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळूं तुज कर्पूरगौरा ॥ ध्रु० ॥

कर्पूरगौरा भोळा नयनीं विशाळा ।
अर्धांगीं पार्वती सुमनांच्या माळा ॥
विभुतीचें उधळण शितिकंठ नीळा ।
ऐसा शंकर शोभे उमावेल्हाळा ॥ जय देव० ॥ २ ॥

देवीं दैत्यीं सागरमंथन पैअं केलें ।
त्यामाजीं जें अवचित हळाहळ उठिलें ॥
तें त्वां असुरपणें प्राशन केलें ।
नीळकंठ नाम प्रसिद्ध झालें ॥ जय देव० ॥ ३ ॥

व्याघ्रांबर फणिवरधर सुंदर मदनारी ।
पंचानन मनमोहन मुनिजनसुखकारी ॥
शतकोटीचें बीज वाचे उच्चारी ।
रघुकुलतिलक रामदासा अंतरीं ॥ जय देव जय देव० ॥ ४ ॥



महादेव त्र्यंबकेश्वराची आरती...

जय जय त्र्यंबकराज गिरिजानाचा गंगाधरा हो ।
त्रिशूलपाणी शंभो नीलग्रीचा शशिशेखरा हो ॥
वृषभारूढ फणिभुषण दशभुज पंचानन शंकरा हो ।
विभूतिमाळा जटा सुंदर गजचर्मांबरधरा हो ॥ ध्रु० ॥

पडलें गोहत्येचें पातक गौतमऋषिच्या शिरीं हो ।
त्यानें तप मांडिलें ध्याना आणुनि तुज अंतरीं हो ॥
प्रसन्न हो‍उनि त्यातें स्नाना दिधली गोदावरी हो ।
औदुंबरमुळिं प्रगटे पावन त्रैलोक्यातें करी हो ॥ जय० ॥ १ ॥

धन्य कुशावर्ताचा महिमा वाचे वर्णूं किती हो ।
आणिकही बहु तीर्थें गंगाद्वारादिक पर्वतीं हो ॥
वंदन मार्जन करिती त्यांचे महादोष नासती हो ।
तुझिया दर्शनमात्रें प्राणी मुक्तीतें पावती हो ॥ जय० ॥ २ ॥

ब्रह्मगिरीची भावें ज्याला प्रदक्षिणा जरि घडे हो ।
तैं तैं काया कष्टे जंव जंव चरणीं रुपती खडे हो ॥
तंव तंव पुण्य विशेष किल्मिष अवघें त्यांचें झडे हो ।
केवळ तो शिवरूपी काळ त्याच्या पायां पडे हो ॥ जय० ॥ ३ ॥

लावुनियां निजभजनीं सकळहि पुरविसि मनकामना हो ।
संतति संपति देसी अंतीं चुकविसि यमयातना हो ॥
शिव शिव नाम जपतां वाटे आनंद माझ्या मना हो ।
गोसावीनंदन विसरे संसारयातना हो ॥ जय जय० ॥ ४ ॥
 

कर्पूरगौराची आरती


त्रिशूळ डमरू शोभत हस्तीं कंठिं रुंडमाळा ।
उग्रविषातें पिऊनी रक्षिसी देवां दिक्पाळां ॥
तृतीय नेत्रीं निघती क्रोधें प्रळयाग्नीज्वाळा ।
नमिती सुरमुनि तुजला ऐसा तूं शंकर भोळा ॥ ध्रु० ॥

कर्पूरगौरा गौरिशंकरा आरति करूं तुजला ।
नाम स्मरतां प्रसन्न हो‍उनि पावसि भक्ताला ॥ १ ॥

ढवळा नंदी वाहनशोभे अर्धांगीं गौरी ।
जटा मुकुटीं वासकरितसे गंगासुंदरी ॥
सदया सगुणा गौरीरमणा मम संकट वारीं ।
मोरेश्वरसुत वासुदेव तुज स्मरतो अंतरीं ॥ २ ॥

सांबसदाशिवाची आरती


जय देव जय देव जय शंकर सांबा ।
ओंवाळित निजभावें, नमितों मी सद्भावें वर सहजगदंबा ॥ ध्रु० ॥

जय जय शिव हर शंकर जय गिरिजारमणा ।
पंचवदन जय त्र्यंबक त्रिपुरासुरदहना ॥
भवभयभंजन सुंदर स्मरहर सुखसदना ।
अविकल ब्रह्म निरामय जय जगदुद्धरणा ॥ १ ॥

जगदंकुरवरबीजा सन्मय सुखनीजा ।
सर्व चराचर व्यापक जगजीवनराजा ॥
प्रार्थित करुणावचनें जय वृषभध्वजा ।
हर हर सर्वहि माया नमितों पदकंजा ॥ जय देव० ॥ २ ॥

गंगाधर गौरीवर जय गणपतिजनका ॥
भक्तजनप्रिय शंभो वंद्य तूं मुनिसनकां ॥
करुणाकर सुख्सागर जगनगिंच्या कनका ।
तव पद वंदित मौनी भवभ्रांतीहरका ॥ ३ ॥

शिवेश्वराची आरती


जटा धारिल्या शीर्षावरती झेलियली गंगाधारा आणि खोविला आभूषणात्मक शीतल शशि कचसंभारा भालावरल्या नेत्रामधुनी बरसवुनी खदिरांगारा मदनदहन करूनिया शमविला क्रोध तुवा अतिबलेश्वरा जय शंकर, जय महेश्वरा, जय उमापती, हर शिवेश्वरा॥ १ ॥

विश्वाचा समतोल राखण्या अवलंबिशी तू संहारा कठोर जितुका तितुका भोळा असशी तू तारणहारा कर्पुरगोर्‍या अंगांगावर भस्म लेपिशी उग्रतरा व्याघ्रांबरधारका महेशा, मम वंदन तुज हरेश्वरा जय शंकर, जय महेश्वरा, जय उमापती, हर शिवेश्वरा॥ २ ॥

कंठ तुझा जाहला निळा जधि प्राशन केले हलाहला दाह तयाचा शमवायाला नाग धारिला जशि माला तांडवप्रिया, रूद्रनायका, कैलाशपती, त्रिशुलधरा अर्पण ही आरती चरणि तव नीलग्रीवा पशुपतेश्वरा जय शंकर, जय महेश्वरा, जय उमापती, हर शिवेश्वरा॥ ३ ॥



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